अब किसी व्यक्ति की आवाज से पता चल जाएगा कि वह भविष्य में मानसिक रोगों से पीड़ित होगा या नहीं। वैज्ञानिकों ने आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस ऐसा सिस्टम तैयार किया है जो आवाज का विश्लेषण करता है। यह भाषा में छिपे संकेतों को समझता है, जिसके आधार पर भविष्य में होने वाली बीमारी की जानकारी देगा। इसे अमेरिका के एमोरी विश्वविद्यालय ने विकसित किया है।
एनपीजे सिजोफ्रेनिया जर्नल में प्रकाशित शोध के अनुसार, आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस से लैस सिस्टम भाषा में दो तरह के शब्दों का खासतौर पर विश्लेषण करता है। पहला, ऐसे शब्द जिनका इंसान सबसे ज्यादा और तेज आवाज में प्रयोग करता है। दूसरे वे जिसे हम स्पष्ट तौर पर नहीं बोल पाते। इनके आधार पर भविष्य में होने वाले मानसिक रोगों की 93% तक सटीक जानकारी दी जा सकती है।
एमोरी विश्वविद्यालय के शोधकर्ता नेगुइन रेजाई का कहना है कि नई तकनीक काफी संवेदनशील है और ऐसे पैटर्न का पता लगाती है जिसे हम आसानी से नहीं देख पाते। यह एक तरह से माइक्रोस्कोप की तरह है जो बीमारियों के बारे में पहले ही अलर्ट करती है। भाषा में ऐसे शब्दों को पहचानाना ठीक वैसा ही है जैसे आंखों में मौजूद सूक्ष्म बैक्टीरिया को देखना।
शोध के नतीजों के मुताबिक, मशीन ऐसे भाषा से जुड़े ऐसे विकारों को पहचानती है जो मानसिक रोगों से जुड़े होते हैं। शोधकर्ताओं का कहना है सिजोफ्रेनिया जैसे मानसिक विकार आमतौर पर 20 साल की उम्र में दिखने लगते हैं। ऐसे में 25-30% मामलों को काउंसलिंग की मदद से 80% तक समय से पहले पहचाना जा सकता है। लेकिन नई तकनीक की मदद से और भी पहले समझा जा सकता है।
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